उपराष्ट्रपति श्री वेंकय्या नायडू ने विशाखापत्तनम में एक कार्यक्रम के सीधे तौर पर नहीं कहा कि शिक्षा का स्तर घटिया होता जा रहा है लेकिन जो कहा वह शिक्षा के गिरते स्तर की तरफ ही इशारा करता है उन्होंने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और इन संस्थानों से बाहर निकल रही पौध को जिस तरह की शिक्षा दी जा रही है पर चिंता जाहिर की कहा कि बच्चों को उच्च डिग्री बाद भी प्राइवेट या सरकारी संस्थानों में दुबारा ट्रेंड करना पड़ता है क्यों न हम शिक्षा को रोजगारपरक, श्रजनशील बनाएं,बात सही है विश्वविद्यालय राजनीति का अखाड़ा बनते जा रहे हैं शिक्षा के एजेंडे के इतर अन्य एजेंडे हावी है इन्हीं सब बातों को लेकर उपराष्ट्रपति महोदय ने जो कहा आइये पढ़ते हैं.
कोई भारतीय विश्वविद्यालय विश्व के 100 शीर्ष रैंकिंग वाले विश्वविद्यालयों में भी शामिल नहीं हो सका इस ओर इशारा करते हुए उपराष्ट्रपति महोदय ने विश्वविद्यालयों और शिक्षाविदों से अनुरोध किया कि वे इस सिलसिले में आत्मावलोकन करें और संबंधित मानकों को सुधारें.
उपराष्ट्रपति ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया ताकि ग्रैजुएट बन कर निकल रहे छात्र संबंधित उद्योग या कृषि की जरूरतों को पूरा करने की कुशलताओं से युक्त हों या उनमें एक जोखिम लेने वाले उद्यमी का कौशल या योग्यता हो। उन्होंने कहा कि छात्रों को सिर्फ रोजगार योग्य ही नहीं होना चाहिए बल्कि उनमें जीवन कौशल, भाषा संबंधी कुशलता, तकनीकी कुशलताएं और उद्यम संबंधी कुशलताएं भी होनी चाहिए ताकि वे रोजगार पाने या स्व रोजगार करने में सक्षम हो सकें.
यह बात उपराष्ट्रपति श्री वेंकय्या नायडू ने विशाखापट्टनम में भारतीय पैट्रोलियम एवं ऊर्जा संस्थान (आईआईपीई) द्वारा आयोजित ‘शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए इंडस्ट्री एकेडमी वार्ता’ (इंडस्ट्री एकेडमी इंटरैक्शन फॉर इम्प्रूवमेंट ऑफ क्वालिटी ऑफ एकैडमिक्स) विषय पर दो दिनों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कही, श्री नायडू ने आह्वान किया कि शिक्षा जगत और उद्योग जगत के बीच एक सहजीवी रिश्ता स्थापित किया जाए ताकि नवाचारों का ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सके जो फले फूले और युवाओं के लिए रोजगार पैदा करे। इसे हासिल करने के लिए उन्होंने चाहा कि भारतीय उद्योग जगत इस संबंध में ज्यादा सक्रिय भूमिका अदा करते हुए शैक्षणिक संस्थानों के साथ एक मजबूत रिश्ता कायम करे.
हिलवार्ता डेस्क
@ hillvarta. com
भारत का कोई भी विश्वविद्यालय विश्व के 100 टॉप में शामिल नहीं, उपराष्ट्रपति ने कहा शिक्षा में श्रजनशीलता जरूरी आइये आगे पढ़ें @हिलवार्ता
Spread the love