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उत्तराखंड:अपने बाप के पैसे से नहीं, मेरे पैसे से पढ़ रहे हो जब चाहूंगा बाहर का रास्ता दिखा दूंगा आइये देखते हैं किसने कहा@ हिलवार्ता न्यूज

उत्तराखंड में एक से एक सूरमाओं के वीडियो वायरल होते ही रहते हैं कभी चैंपियनों के कभी विधायकों मंत्रियों के कभी अधिकारियों के कभी पत्रकारों के, अबकी जो वीडियो वायरल हुआ है उसका नाता एक बड़े संस्थान से है हालांकि हिलवार्ता इस वीडियो की पुष्टि नही करता है वायरल वीडियो में साफ है, संस्थान का प्रमुख उसके यहां पढ़ने वाले छात्रों को यह कहते हुए धमका रहा है कि जैसे वह छात्र नहीं उस संस्थान के बधुवा मजदूर हों और सरकारें और कानून उसकी जेब मे ।

इस सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि उत्तराखंड में मौजूद आयुर्वेदिक कालेजों ,विश्वविद्यालयों ने विगत वर्ष बीएएमएस और बीएचएमएस की फीस तीन गुना बढ़ा दी अधिकांश गरीब पृष्ठभूमि से आकर पढ़ने वाले छात्रों और अभिवावकों पर इस भारी बोझ ने नीद उड़ा दी । लंबी जद्दोजहद के बाद एक छात्र ने इस बढ़ोतरी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की हाईकोर्ट ने निर्णय दिया ,लेकिन इसके क्रियान्वयन में एक साल से अधिक लग गया।

यह जानना जरूरी है कि फीस बढ़ोतरी का निर्णय असल मे उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2015 में लिया तब इसका बढ़ोतरी का शासनादेश जारी कर दिया था जिसमे बी ए एम एस की फीस 80,हजार 500 रूपए से बढ़ाकर 2 लाख 15 हजार, और बीएचएमएस की 73,600 से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी थी ।

जिसके बाद हिमालयन आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के छात्र ललित तिवारी ने नैनीताल हाईकोर्ट के रुख किया कोर्ट से सारी दलीलें सुनने के बाद 9 अक्टूबर 2018 को सरकार के फैसले के खिलाफ निर्णय दिया और कहा कि फीस बढ़ोतरी नही होनी चाहिए यहां तक कि संस्थानों द्वारा बढ़ी हुई ली गई फीस को वापस किया जाय। कोर्ट के आदेश की कॉपी सरकार के अनुसार विश्वविद्यालयों को दे दी गई और निर्देशित किया कि कोर्ट के निर्णय का अनुपालन हो लेकिन किसी भी आयुर्वेदिक कालेज ने फीस वापस नहीं की।

छात्रों ने सरकार से गुहार लगाई कोई नतीजा नही निकला मजबूरन आयुष छात्र पढ़ाई छोड़ सड़कों पर उतर आए। आन्दोलन कर रहे छात्रों पर पुलिस कार्यवाही हुई और कई छात्र चोटिल हुए । चारों ओर से दबाव के बाद सरकार को झुकना पड़ा और फीस बढ़ोतरी का शासनादेश निरस्त करना पड़ा। यहाँ गौरतलब है कि सरकार ने अपना फीस बढ़ाने के शासनादेश को निरस्त करने का निर्णय 22 नवम्बर 2019 में लिया इसका मतलब हुआ कि सरकार ने खुद इस मामले में हीलाहवाली की, वरन कोर्ट के आदेश की तामीली में ढील बरती ।

जिस वजह आयुर्वेदिक कालेज मनमानी करते रहे, और छात्रों को फजीहत झेलनी पड़ी। इधर सोशल मीडिया में देश को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले इन सीईओ का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिससे इन संस्थानो में हो रही दादागिरी और मनमानी का सबूत माना जा सकता है,वायरल वीडियो में संस्थान के मुखिया महोदय छात्रों को धमका रहे हैं कि उनको देख लिया जाएगा । वीडियो कब का है यह कहा नही जा सकता है लेकिन सोशल मीडिया में वायरल हो रहे इस वीडियो में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल संस्थान का आदमी कर रहा है इससे साफ होता है कि इनका यह बखान उत्तराखंड में कोर्ट और सरकार के आदेश नहीं मानने की धमकी सरीखा है ।

वीडियो में सीईओ साहब कह रहे हैं कि वह कोर्ट से इस तरह का आदेश लाने वाले हैं कि उन पर खर्च हो रहा तीन लाख पचास हजार रुपया संस्थान को मिलना चाहिए । इस वायरल वीडियो में जिस अकड़ से उक्त महानुभाव अपनी बात रख रहे हैं जिससे यह समझने में देर नही कि पैसे के आगे किसी सरकार और कानून की कोई बिसात नहीं वरना ऐसा क्या कि कोई कोर्ट के आदेश की एक साल तक तामीली न हो ।

उत्तराखंड घोटालों, की जननी इन्ही दबंग संस्थान मालिको की करतूत की वजह बन रहा है यह साफ दिखाई देता है इन्ही कालेज में पढ़ने वाले एक छात्र के पिता ने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें हर सप्ताह संस्थान से अपने बेटे को ले जाने या फीस बढ़ोतरी पर किसी तरह की बात नही करने को फ़ोन तक आये उनके अनुसार इन कालेजों को राजनीतिक संरक्षण है यही कारण रहा कि सरकार सोई रही और छात्र उत्पीड़ित होते रहे । फीस वापसी के निर्णय पर सरकार ने अगर पहले फैसला ले लिया होता तो छात्रों की पढ़ाई और अभिवावकों का उत्पीड़न रोका जा सकता था उन्होंने फीस बढ़ोतरी वापसी की उम्मीद करते हुए कहा कि सरकार को लाइसेंस देते समय तय कर लेना चाहिए कि निजी संस्थान लूट न कर सकें ।

हिलवार्ता न्यूज डेस्क

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