Connect with us

Uncategorized

केंद्रीय बजट पर सीए सरोज आंनद जोशी की विस्तृत रपट पढ़िए@हिलवार्ता

भारत सरकार ने हालिया 2020 का बजट पेश किया है सरकार की अपनी दलील है कि बजट बहुत अच्छा है जिसमे सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है समाचार माध्यमों ने अपनी अपनी प्राथमिकता के हिसाब से बजट का विश्लेषण किया इसी तरह विपक्ष ने बजट को बोगस बताया । आइये बजट में क्या है इसे समझते हैं चार्टर्ड अकाउंटेंट सरोज आंनद जोशी की नजर से …..

अर्थ’ क्षेत्र अब अपना व्यापक रूप ले चुका है केवल भौतिक आर्थिक आवश्यकता ही नहीं बल्कि सामाजिक राजनैतिक राजनैतिक यहाँ तक की भौगौलिक प्राकृतिक आध्यात्मिक जलवायु परिवर्तन आज की मानव सभ्यता का अब ‘अर्थ’ से इर्द गिर्द घूम रही है और बजट इसकी एक धुरी है मीडिया सोशल मीडिया के विकास के बाद अधिकांश लोग अब त्वरित सूचना से जुड़ गए हैं और बजट जैसे अनिवार्य प्रक्रिया पर जनता की अब निगाहें टिकी रहती है इसको देख अब सरकारें भी सजग हो गयी है और जनता से साथ अब वो ब्रेकिंग न्यूज़ संस्कृति का फायदा लेने के लिए लोकलुभावन हाईलाइट पर बजट भाषण में अधिक जोर देने लगी है पर सरकारों की अधिक चिंता देश अनिवार्य मुद्दों पर भी होती है जिसे लम्बे समय तक टाला नहीं सकता रोजगार आर्थिक मंदी किसान रक्षा शिक्षा स्वाथ्य सेवाओं प्रति पर उनकी जवाबदेही की तय करने का माध्यम भी यही बजट है

बजट राजस्व घाटे को पाटने का एक महत्वपूर्ण साधन है बजट के अनुरूप ईमानदार टैक्स वसूली अक्सर आजकल डिबेट में देखा जाता है केवल एक खास वर्ग जो प्रत्यक्ष कर देता है उसे लगता है केवल वही टैक्स पेयर है ये एक मिथक, जो पूरा सच नहीं है आज पूरा देश टैक्स पेयर है अप्रत्यक्ष कर के रूप में आज पूरा देश टैक्स का भुगतान रहा है चाहे श्रमिक हो या किसान यहाँ तक कि पढ़ने वाला विधार्थी गृहणियां तक भी देश के लिए जीएसटी के रूप टैक्स दे रही है और सरकारें अब इस बात पर जोर देने लगी हैं कि करदाताओं को विश्वास दिलाया जाए उनसे मित्रवत व्यवहार किया जाये ताकि उनकी सकारात्मक भागीदारी सुनिश्चित हो इस बजट में इस बात को ध्यान में रख एक टैक्स पेयर्स चार्टर्ड बनाने की बात कही गयी है ये एक नया कानून बनेगा जिसमे करदाताओं को भयमुक्त सरलीकरण दंडात्मक कार्यवाही को कम करना आपराधिक प्रावधानों में बदलाव जैसे कानून बनाने का इशारा किया गया है पहले ये काम केंद्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड नियमो के रूप करता आया है पर पहली बार इससे सम्बंधित कानून बनेगा जब करदाता के लिए नियम कानून सहज होंगे विश्वास बढ़ेगा तो ईमानदारी से कर प्राप्त होंगे सरकार ने इसके लिए इस दशहरे में फेस लेस ई प्रोसेसिंग की शुरुआत भी की है जिसके करदाता को आयकर विभाग के चक्कर नहीं काटने होंगे और बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी आधिकारिक शोषण से मुक्ति से साथ साथ पारदर्शिता बढ़ेगी कम्पनियो के लिए टैक्स में कमी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को ग्राहकों को हस्तांतरित करना इस विश्वास की पहल का हिस्सा है इस पहल से कितना रेवेन्यू आएगा ये भविष्य बताएगा और सरकार की रोजगार की चिंता का समाधान भी कार्मिक संस्थानों कंपनियों के टिके रहने निर्भर है और कॉर्पोरेट सामंजस्य सुधार अनिवार्य जरुरत

दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा है की सरकारी योजनाओ को कार्यान्वित करने के लिए फण्ड चाहिए ये आये कहाँ से आये सरकारी खजाने से तो ये सब संभव नहीं और आज सरकार को इसका बड़ा साधन पीपी पी मॉडल यानि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और सरकारी क्षेत्र का निजीकरण उनके शेयर बेचना पिछले 5 बजटों में इस बात पर बहुत चर्चा हुई इस बार के बजट में भी शुरू में ही जब कृषि बजट की चर्चा हो रही थी ख़राब होने वाली चीजों के लिए कोल्ड स्टोर बनाने के लिए हो या प्रस्तावित किसान रेल, पांच स्मार्ट शहरों के निर्माण, नए अस्पतालों मेडिकल कॉलेजों के निर्माण, सरकारी अस्पतालों से मेडिकल कॉलेज को जोड़ना, कई रेल सुधार योजनाएं ये सब पीपीपी मॉडल पर निर्भर है पर पिछली घोषित कई परियोजना में प्राइवेट पार्टनर्स के अधिक समर्थन न मिल पाने के कारण धरातल पर क्रियान्वित की नहीं हो पायी पर आगे देखना होगा की धरातल पर ये कितना सफल हो पाता है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानि एफडीआई की जरुरत पर भी जोर दिया गया है हालाँकि स्वदेशी आंदोलनों के विपरीत ये अवधारणा है परन्तु वक़्त की जरुरत है पर क्या इससे शिक्षा या स्वाथ्य सेवाओं स्तर विश्वस्तरीय होगा ये भी भविष्य ही तय करेगा

अब बात आती है निजीकरण की भारतीय जीवन बीमा निगम और आईडीबी आई मे अब निजी सेक्टर की भागीदारी होगी ये एक महत्वपूर्ण विषय है कि सरकारें अब चाहती हैं उसके स्वामित्व का अब विकेन्द्रीकरण हो सरकार अब व्यवसाय से दूरी बनाना चाहती है कई विकसित देशो में यही होता है परन्तु भारत में ये सवाल है कि क्या भारत का निजी क्षेत्र वैसा ही है जैसा विदेशो में क्या सामाजिक जिम्मेदारी सामाजिक जिम्मेदारी उसी तरह की है क्या उनका मानव संसाधन रोजगार मॉडल आर्थिक के साथ सामाजिक सुरक्षा देने में समर्थ है ? या उन लोगो में दुनिया के सबसे धनवान व्यापारी बनने की प्रतिस्पर्धा सामाजिक जिम्मेदारी से ज्यादा हावी है ? क्या पारम्परिक साहूकार लाला संस्कृति बदल पाएगी और निजी हाथो में ऐसे अनिवार्य क्षेत्र जायेंगे तो क्या हो उतनी जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व से कार्य करेंगे शिक्षा स्वाथ्य जैसी अनिवार्य मुद्दों को पीपीपी एफडीआई के अंर्तगत यानि मेडिकल कॉलेजो में निजी कम्पनियाँ विदेशी निवेशक निवेश करेंगे तो जाहिर है इनसे लाभ की उम्मीद में ऐसा निवेश होगा ऐसे में महंगी डॉक्टरी शिक्षा पर केवल आर्थिक रूप से धनी वर्ग ही पहुंच होगी मध्य एवं निर्धन प्रतिभाओ का डॉक्टर बनने का सपना क्या सपना ही रह जायेगा ये भी देखने वाली बात होगी

बात केवल एक निजीकरण की नहीं बल्कि नयी कर प्रणाली की घोषणा से भी साबित होता है नए टैक्स स्लैब्स में बदलाव किये गए पर पहली बार एक नया प्रावधान जोडा गया है की करदाता के पास विकल्प है की या तो वो इस नयी घटी कर दरों पर टैक्स का भुगतान करे पर इसमें एक शर्त जोड़ दी की इन घटी दरों पर आयकर के अन्तर्गत दी जानी वाली छूटों का फायदा करदाता नहीं ले सकता यही एक तरह ये भी मंशा है की करदाता विनिवेश न कर लिक्विड मुद्रा अपने पास रखे अपने पैसे को अधिक से अधिक खर्च करे ताकि बाजार में पैसे का फ्लो बना रहे रिटेल बाजार में आगम की बढ़ौतरी हो भले ही इससे सरकारी विनिवेश जरूर हतोत्साहित होगा पर ये जरुरी भी है की कि पैसे का फ्लो बना रहना ताकि अर्थव्यवस्था को गति मिलती रहे

बजट भाषण में जब नयी कर दरों की घोषणा हुई तो लगा की करदाताओ को बड़ी राहत मिलने वाली है सम्बोधन में कहा की इससे 40000 करोड़ का नुक्सान होगा नये दरों को विकल्प चुनने पर आपको आयकर अधिनियम में कोई छूट राहत नहीं मिलेगी इसे दरों के बाद देश में कम से 15 लाख तक की आय वाले करदाताओं को कोई खास फायदा नहीं होने वाला और अधिकांश करदाता ये विकल्प नहीं चुनेगे 15 % कॉर्पोरेट टैक्स की दरें केवल नयी विनिर्माण कंपनियों के लिए है फिर 40000 करोड़ अतिरिक्त साधनो की इस घाटे को पूर्ति के लिए कहना समझ से परे है पर उन्होंने बहुत ईमानदारी से कालिदास के राघवंश का उल्लेख कर वो बात कह डाली कि ‘राजा जो लेता है उसे बदले में प्रचुर मात्रा में लौटाता भी है कहने का मतलब साफ़ था अभी कर लेने में कोई खास कमी नहीं होने वाली

इस बार के बजट में सरकार ने पहली बार सार्वजानिक मंच पर ये स्वीकार किया है की बैंको में आपका कितना धन सुरक्षित है बजट भाषण में वित्त मंत्री के स्पष्ट रूप के कहा की बैंक में जमा वर्तमान में बीमित राशि जो एक लाख तक थी वो अब पांच लाख बढ़ा दी गयी है यानि बैंको दिवालिया होने पर अपना पांच लाख तक का पैसा ही सुरक्षित है बाकि भगवान भरोसे

जब भी बजट पर परिचर्चा होती है एक महत्वपूर्ण विषय छूट जाता है कि पिछले बजट की योजनाओ की स्थिति क्या है भारतीय मीडिया सोशल मीडिया विभिन्न जन मंचो पर इसकी चर्चा कभी नहीं होती सबसे अधिक जरुरत उस समीक्षा की है और उस जवाबदेही की सुनिश्चितता कि पूर्व में घोषित परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति क्या है यदि क्रियान्वित नहीं हो पायी तो क्या कारण रहे ब्रेकिंग न्यूज़ संस्कृति में ये खामी है कि हम मॉनिटरिंग भूल गए हैं एक तरफ सरकारें अधिकतम पारदर्शिता की बातें करती है दूसरी तरफ योजनाओ के अपडेट से सम्बंधित कोई सूचना नहीं होती यहाँ पर सरकार से अधिक जिम्मेदारी मीडिया विपक्ष की है पूर्व के बजट में 100 स्मार्ट सिटी कृषि ई विपरण कई लोकलुभावन घोषणाएं होती है और ब्रेकिंग न्यूज़ संस्कृति में जल्दी भूल जाते है कोई भी बजट बहुत अच्छा या बहुत ख़राब नहीं होता फर्क क्रियान्वयन का है यदि देश को सचमुच आगे बढ़ाना है तो पारदर्शिता जवाबदेही और नीतियों योजनाओ परियोजना की लगातार मॉनिटरिंग की अनिवार्य आवश्यकता है

देश के माहौल का अर्थव्यवस्था का सीधा प्रभाव पड़ता है प्रेम विश्वास और भाईचारे से सुरक्षा की भावना से उदारता बढ़ती है सच्ची उदारता आपको समाज और देश को कुछ ‘देने’ की भावना को प्रोत्साहित करती है बाजार में पैसा तभी आएगा जब जनता दिल खोलकर खर्चा करेगी और ऐसा फ्लो तब आएगा जब जनता भीतर से सुरक्षित महसूस करेगी टैक्स चोरी से लेकर पैसे को बचत रोक छिपाकर रखना ये केवल इसलिए होता है कि हमारी देश की नीतियां जनता को आर्थिक सुरक्षा नहीं दे पा रही हैं हर परिवार में कमाने वाले बड़े को अपने बच्चे की शिक्षा कन्यादान रोजगार अपने स्वाथ्य की चिंता सताये रखती है इसलिए वो पैसा अवरुद्ध रखता है सरकारों को चाहिए की और अधिक टैक्स ले चाहे तो टैक्स की दरें दुगुनी कर ले और बदले शिक्षा स्वाथ्य जैसी अनिवार्य जरूरतें सबके लिए समान आसान सहज और निशुल्क हो जब अप्रत्यक्ष कर के रूप में देश कर नागरिक टैक्स दे रहा है तो किसी को ‘मुफ्तखोर’ जैसे शब्दवाली संस्कृति को हतोत्साहित कर सरकार उनकी आधारभूत जरूरतों की गारंटी हो जैसा कोई मॉडल हो जैसा विकसित देशो में होता है लोग टैक्स चोरी कम खर्च अधिक करने लगेंगे बाजार खुशहाल होगा और देश आर्थिक तरक्की करेगा फाइव ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष आसानी से हासिल होगा

सरोज आंनद जोशी सीए

@हिलवार्ता डेस्क

Continue Reading
You may also like...

More in Uncategorized

Trending News

Follow Facebook Page

Tags