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Covid 19 की दवा के क्लीनिकल ट्रायल पर निम्स चैयरमेन ने कहा नहीं हुआ ट्रायल,बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ सकती है,विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें @हिलवार्ता

covid 19 की दवा के दावे के साथ ही पतंजलि के लिए निराश करने वाली खबर आई है जिस हॉस्पिटल में क्लीनिकल ट्रायल की बात हुई जब वही मुकर जाए तो दिक्कत का मामला होना स्वाभविक है तीन दिन में किस तरह की घटनाएं सामने आई है आइये समझने की कोशिश करते हैं ।

मंगलवार के दिन पतंजलि आयुर्वेद ने वैश्विक बीमारी कोविड 19 की दवा खोज लेने का दावा किया । दवा की जानकारी साझा करने के लिए मीडिया ब्रीफिंग में देश के नामी गिरामी अखबार न्यूज चैनल बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के इस दावे की जानकारी देश ही नहीं विदेशों में प्रसारित करने की नीयत हरिद्वार में जमे रहे । बाबा रामदेव जोकि पतंजलि आयुर्वेद के प्रमोटर हैं ने प्रेस को विस्तृत जानकारी दी। पतंजलि का कोविड 19 को समाप्त करने का नुस्खा देखते ही देखते ब्रेकिंग न्यूज बन गया ।

बनता भी क्यों नहीं दुनियां के वैज्ञानिक डॉक्टर इस जानलेवा वायरस से निजात पाने की पिछले 6 महीनों से भरपूर कोशिश में लगे हैं । अचानक कोई यह कहे कि उनके तरकस में इस दानव को भेदने की क्षमता आ गई है तब भला खबर तो बड़ी ही कही जाएगी । चूंकि जैसा कि बाबा इससे पहले भी कई तरह के दावे कर चुके हैं और लोगों ने विश्वास कर बाबा की दवाइयों का भरपूर उपयोग किया है । बाबा के दावों में कई तरह के तर्क होते हैं इसलिए विवाद के वावजूद पतंजलि मैगी से लेकर जीन्स तक कि मार्किट में ले आई और बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने उनके उत्पादों में भरोसा जताकर, पिछले 15 साल में पतंजलि को भारत की टॉप तीसरी एफएमसीजी कंपनी में शुमार करवा दिया ।

हालांकि बाबा एफएमसीजी का बड़ा हिस्सा अपने पाले डालने में सफल रहे हैं, लेकिन दवा के दावों के विवाद सुर्खियों में भी रहे हैं । जैसे पुत्रबीजक वटी, या कैंसर जैसी बीमारी ठीक होने का दावा, इन दोनों मामलों में खिंचाई के बाद बाबा बच निकले,इसका कारण यह भी है कि इन दावों से वह सवालों पर चुप्पी साध लेते हैं ।
वर्ष 2019-20 में पतंजलि का टर्नओवर 10 हजार करोड़ के आसपास है बाबा रामदेव बारबार इस बात का दावा करते आये हैं कि उनकी कम्पनी आने वाले 5 साल में 50 हजार करोड़ का टर्नओवर पार कर उनसे आगे चल रही हिंदुस्तान यूनिलीवर और बेनकाइजेर को पीछे छोड़ देंगे । बाबा का दावा करने का कारण साफ है कि बाबा के पास स्वदेशी और ऑर्गेनिक उत्पपादों की लंबी लिस्ट है यह भी एक कारक कि वह देशी उत्पाद बेच रहे हैं उनके विज्ञापनों मेंं भी दूसरे उत्पादों की खिंचाई तीखी भाषा का खूब इस्तेमाल होता है जिसे लोग पसंद करते है ।

प्रचार के लिए कुल टर्न ओवर का लगभग 3 प्रतिशत खर्च करते हैं । एड एक्स मीडिया रिपोर्ट के अनुसार टेलीविजन ऑडिएंस मेजरमेंट की मीडिया रिसर्च में पतंजलि विज्ञापन देने वाली भारत की तीसरी बड़ी कंपनी है । पतंजलि सभी फॉर्मेट पर विज्ञापन देने वाली केवल हिंदुस्तान यूनिलीवर, और रेकिट बैंकिंजर के के पीछे है।

कुल मिलाकर बाबा रामदेव ,आचार्य बालकृष्ण की सोच के अनुसार उनका कारोबार ऊंचाइयां छू रहा है हाल ही उन्होंने देश की नामी कंपनी रुचि सोया को चार हजार करोड़ से अधिक में खरीद लिया । कहा जाता है कि इस कंपनी को अडानी भी खरीदना चाहते थे । हमेशा नए उत्पादों की लांचिंग में अव्वल रहने वाले बाबा रामदेव इस बार कोविड 19 की दवा लेकर अपने टारगेट को पूरा करने का सपना संजोए हरिद्वार में अपने सहयोगी बालकृष्ण और कुछ नामी गिरामी सहयोगियों के साथ कोविड 19 कि जिस दवा को खोज लेने का दावा करने उतरे प्रोडक्ट लांच किया लेकिन यह क्या ..

शाम होते होते दवा के दावे विवादों में आ गये । दरसल आयुष मंत्रालय ने शाम मीडिया में कोविड की दवा खोजने की खबर से संज्ञान लेने की बात कहकर पतंजलि से अपने उत्पाद के विज्ञापन को रोकने को कह दिया । मंत्रालय का मानना था कि दवा निर्माण संबंधी जानकारी एवम दावों की पुष्टि के साक्ष्य उसके पास नहीं है लिहाजा पतंजलि कोविड 19 की दवा लांच से पहले की जरूरी प्रकिर्या का पालन करे साथ ही किसी भी दवा के कारगर होने के दावे की पुष्टि हेतु किए गए ट्रायल की जानकारी उपलब्ध कराए । मंत्रालय ने मीडिया ट्रायल में पेश साक्ष्य के तौर पर पेश किए दावों पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया ।

मीडिया ब्रीफिंग के बाद जिस तरह कोविड 19 की दवा के आविष्कार की बात पूरे संचार माध्यमों की सुर्खियां बन गई रात्रि आयुष मंत्रालय के आदेश के बाद बात पलट गई । बाबा के दावों पर शंका के बादल मंडराने लगे, सोशल मीडिया पर कोविड 19 की दवा और पतंजलि के दावे ट्रोल होने लगे ।

इधर उत्तराखंड सरकार के आयुष विभाग ने भी बाबा द्वारा इस दवा के बाबत उन्हें किसी तरह की जानकारी और लाइसेंस नहीं दिए जाने की बात की । उधर राजस्थान सरकार हरकत में आई कि हरिद्वार में लांच हुई दवा के ट्रायल का कनेक्सन राजस्थान की यूनिवर्सटी में सम्पन्न हुआ, लेकिन उन्हें किसी तरह की जानकारी तक नहीं हुई । दरसल बाबा ने दावा किया था कि उनकी दवा का क्लीनिकल ट्रायल निम्स यूनिवर्सिटी में हुआ । जहां लोग पोजीटिव से नेगेटिव हो गए । सरकार ने उक्त यूनिवर्सिटी से पूछा कि बिना सरकार की अनुमति ट्रायल कब कैसे हुआ ?
इतना ही नही राजस्थान सरकार ने गुरुवार निम्स के मालिक चेयरमैन डॉ बीएस तोमर जो पतंजलि के दवा दावे की ब्रीफिंग में शामिल हुए थे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी कि सरकार की जानकारी के वगैर कैसे उनके कॉलेज में क्लीनिकल ट्रायल कैसे हो गया । नियमानुसार किसी भी क्लीनिकल ट्रायल से पहले सरकार से अनुमति ली जानी जरूरी होती है । यहां गौरतलब है कि पतंजलि ने न उत्तराखंड न राजस्थान से किसी तरह की परमिशन लेने की जहमत नहीं उठाई ।

इधर बाबा का समर्थक गुट एक दिन बाद सोशल मीडिया में एक्टिव हो गया जिस तरह पिछली रात से बाबा को ट्रोल किया गया अब उनके समर्थक उनके पक्ष में दलीलें लेकर आने लगे । यहां तक कि बाबा की दवा को परमिशन न देने पर आयुष मंत्रालय ट्रोल होने लगा कि विदेशी कंपनी की 103 रुपये की दवा पर सवाल नहीं उठा लेकिन स्वदेशी कोविड की दवा पर सरकार का रुख गलत है ।
इधर बाबा के समर्थन में समर्थकों की लॉबिंग के बीच एक चौकाने वाली खबर 25 जून की शाम आई कि निम्स विश्वविद्यालय के मालिक और चेयरमैन प्रो. बीएस तोमर ने कहा है कि हमने अपने अस्पतालों में कोरोना की दवा का कोई भी क्लीनिकल ट्रायल नहीं किया है. हमने इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी दिया था.

मिडिया में आ रही रिपोर्ट के अनुसार प्रो तोमर ने कहा कि उन्हें नहीं योग गुरु रामदेव से ही पूछा जाए कि उन्होंने कोरोना का शत प्रतिशत इलाज का दावा कैसे किया .
प्रो तोमर के बयान के बाद निम्स के मेडिकल हेल्थ ऑफिसर ने यहां तक कह दिया कि अस्पताल में सिर्फ लक्षणविहीन कोरोना रोगी भर्ती हो रहे हैं इसलिए यह कहना सरासर गलत है कि लोग इस दवा से ठीक हो रहे हैं ।
कुल मिलाकर बाबा रामदेव कोविड 19 की दवा के दावे के संक्रमण में घिर गए लगते हैं । हालांकि अभी विस्तृत रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी जानी है तब जाकर स्थिति स्पष्ट हो सकेगी । कुल मिलाकर जिस तरह पूरे प्रकरण में बाबा का दावा और चंद घण्टे में इस खबर ने सुर्खियां बटोरी उतनी जल्द इस दावे को संक्रमित होने पर भी लगा है । एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर बाबा अपने पक्ष में सही साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं तो यह उनकी साख पर बट्टा लगाएगा ही कंपनी को भी तीसरे पायदान से नीचे खिसका देगा ।

एक रिटायर्ड आयुर्वेदिक डॉक्टर से बतौर एक्सपर्ट जब दवा और दावे के बारे में हिलवार्ता ने बात की । उनका कहना था कि चूंकि कोविड 19 किसी भी पैथी के लिए नया वायरस है ऐसे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी ।आगे कहा कि आयुर्वेद में कई असाध्य रोगों से निजात पाने की क्षमता है इसके हमारे पास प्रमाण हैं । लेकिन कोविड कॉम्प्लिकेटेड मामला है इसके लिए इंतजार करना होगा ।

इधर आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेदिक रसायनों को इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उपयोग की सलाह दी है जबकि एलोपैथी के डॉक्टर इम्युनिटी के लिए सामान्य खानपान को ही काफी मानते हैं । कोरोनेशन हॉस्पिटल में फिजिशियन डॉ एन एस बिष्ट कहते हैं कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों एवम कुपोषण के शिकार मरीजों को ही इम्युनिटी बूस्टर की जरूरत होती है जिसके लिए वैक्सीन के अलावा कोई और विकल्प मौजूद नहीं है । डॉ बिष्ट का मानना है कि जिस भी व्यक्ति को जो खाना रास आए वह उसे ही सही तरीके से उपयोग करे तो इम्युनिटी स्वतः ही बूस्ट होती है ।

वावजूद इस खबर के कोविड 19 के खतरे बरकरार हैं इंतजार है किसी प्रामाणिक दवा की जो इसके खतरे को कम कर सके विश्व स्वास्थ संगठन सहित दुनियां भर की पैथियाँ प्रयोग कर रही हैं देखना होगा कौन सबसे पहले सफल होता है ।

हिलवार्ता न्यूज

एडिटर्स डेस्क

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