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एनएमसी बिल के खिलाफ आइएमए की 24 घंटे की हड़ताल जारी,निजी मेडिकल कालेजों को 50 प्रतिशत सीट देने और एमबीबीएस की पढ़ाई बाद प्रेक्टिस के लिए एग्जाम देने पर है आपत्ति. पूरा पढ़िए @हिलवार्ता

साल 2018 जाते जाते-2019 आते देश भर में आइएमए के डॉक्टर्स की हड़ताल का साल बन गया कभी क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट बिल का विरोध,कभी कोलकाता में डॉक्टर्स के साथ हुए दुर्व्यवहार पर हड़ताल,कुल मिलाकर कहा जाय तो देश मे मौजूदा सरकार और डॉक्टर्स के बीच तल्खी जारी है दोनो अपनी अपनी दलीलें दे रहे हैं सरकार कानून बना मेडिकल प्रोफेसनल्स को ज्यादा जिम्मेदार बनाने की बात करती है वहीं डॉक्टर्स के अपने तर्क हैं उनका कहना है कि वह कोई सरकारी कंपनी नहीं जिन्हें अपनी लाठी से हांक ले वह देश के आम लोगों को साथ ले खड़े हैं अपने दम पर लोगों का भला कर रहे हैं भला सरकार उन पर नकेल कसने से बेहतर है अपने सिस्टम में सुधार लाए.
आइये जानते हैं नया एनएमसी बिल है क्या.
अभी तक देश भर में मेडिकल शिक्षा व्यवसाय को नियंत्रित करने के लिए इंडियन मेडिकल कॉउन्सिल नाम की संस्था थी जिसका गठन चुनाव के माध्यम से होता था कई बार एमसीआई पर भृष्टाचार के आरोप लगे निजी मेडिकल कालेजों में मानकों की अनदेखी या घूसखोरी की शिकायत के बाद सीबीआई जांच तक एमसीआई को झेलनी पड़ी वर्ष 2009 में उच्चतम न्यायालय में माडर्न डेंटल कालेज रिसर्च सेंटर तथा अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले आये लंबी बहसों के बाद 2 मई 2016 को कोर्ट ने अपने निर्णय में केंद्र सरकार को राय चौधरी समिति की सिफारिशों पर विचार करने और समुचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया,इन्ही सिफारिशों के बाद लोकसभा में 29 दिसंबर 2017 को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक 2017 पुन:स्थापित हुआ इधर चुनाव नजदीक आने और आइएमए की आपत्तियों के बाद यह मामला ठंडा पड़ गया और 2019 में सरकार बनने के बाद इस कानून को पास करने की मुहिम दुबारा चल पड़ी और दोनो सदनों से पास होकर कानून बनने को तैयार है.
अब तक मेडिकल शिक्षा,मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम की जिम्मेदारी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पास थी बिल पास होने के बाद एनएमसी विधेयक मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह नई संस्था ले लेगी जिसकी कमान सरकार के हाथ होगी,आइएमए का विरोध है कि बिल के तहत 3.5 लाख नॉन मेडिकल लोगों को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है,इसको लेकर डॉक्टर हड़ताल पर गए.
डॉक्टर्स को इस बिल की धारा 32 में भी खामियां लगती हैं उनका कहना है कि एक ओर सरकार मेडिकल शिक्षा में सुधार की बात करती है दूसरी तरफ बिल में खामियां माल प्रैक्टिस को बढ़ावा देने वाली हैं डॉ को एतराज एग्जिट टेस्ट को लेकर भी है जिसमे कहा गया है कि इस टेस्ट में पास होकर ही प्रेक्टिस की अनुमति मिलेगी यह भी एतराज का विषय है कि एक ओर एमबीबीएस एग्जिट एग्जाम देगा दूसरी तरफ उसकी धारा 32 आयुर्वेदिक होमियोपैथी सहित फार्मासिस्ट नर्सेज तक को दवा लिखने की छूट दे रही है तब मानकों की बात बेमानी है इस मामले का भी डॉक्टर यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि इससे झोलाछाप को बढ़ावा मिलेगा.डॉक्टर्स का विरोध इस बात को लेकर भी है कि सरकार ने 50 प्रतिशत सीटों को निजी मेडिकल कालेज प्रबंधन को सौप दिया है पहले से ही महंगी शिक्षा और महंगी होगी गरीब लोग मेडिकल शिक्षा से दूर होते चले जायेंगे सरकार निजी कॉलेजों को मनमानी फीस वसूलने की खुली छूट दे रही है.
अब देखिए सरकार क्या कहती है
बिल में झोलाछाप को खत्म करने का प्रवधान इस बिल में लाया गया है,मेडिकल कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों को अनियंत्रित छोड़ने से मनमानी फीस वसूले जाने की आशंकाओं नही मानते स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन कहते हैं कि देश मे मौजूदा एमबीबीएस की 80 हजार सीटों में से लगभग 60 हजार सीटों पर फीस सरकार की ओर से निर्धारित की जाएगी.लगभग 80 हजार सीटों में आधी सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों की हैं जिनकी फीस बहुत कम होती है,वहीं बाकी बची लगभग 40 हजार सीटों में से 20 हजार के लिए फीस निर्धारण सरकार करेगी. मंत्री कहते हैं यदि राज्य सरकारें चाहें तो निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए छोड़ी गई 50 फीसदी सीटों पर फीस को नियंत्रित कर सकती हैं और इसके लिए मेडिकल कॉलेजों के साथ समझौता कर सकती हैं.
सरकार और आइएमए के अपने अपने तर्क हैं सरकार कानून ले आई है उसका कहना है कि आने वाले समय मे इसमे संसोधन की गुंजाइस है

लेकिन एक सवाल जरूर खड़ा होता है कि सरकार ने जिन 50 प्रतिशत एमबीबीएस की सीटों को निजी मेडीकल कालेज/ कॉरपोरेट घरानों को समर्पित कर दिया है तब कैसे मान लिया जाय कि मानकों की देखरेख नई व्यवस्था दुरुस्त तरीके से कर पायेगी ? एमसीआई की तरह नई संस्था का निजी हाथों दुरपयोग ना हो यह आने वाला समय बताएगा कि सरकार नए कानून निगरानी कैसे करती है.
आइएमए ने एक बार फिर हड़ताल में जाकर सरकार से नाराजगी जताई है देखना होगा चौपट हो चुके सरकारी चिकित्सा सिस्टम के समांतर खड़ा हो चुका आइएमए का तीन लाख का कुनबा सरकार को झुका पाता है और यह भी कि कानून में सरकार कितना बदलाव करती है .
आइएमए हल्द्वानी सचिव डॉ प्रदीप पांडे ने कहा है कि हड़ताल सफल रही है आइएमए की चिंताएं जायज हैं सरकार के अगले कदम का आइएमए इंतजार करेगा तभी आगे की रणनीति बनेगी यह आइएमए तय करेगा आगे क्या होगा निर्णय लिया जाएगा. डॉक्टर्स की हड़ताल से कुमायूँ में मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ा है हड़ताल जारी है कल सुबह 6 बजे तक.इस हड़ताल पर आइएमए की कदमताल और सरकार के रुख की पड़ताल हिलवार्ता पर जारी रहेगी.
ओपी पांडेय
@ एडिटर्स डेस्क
hillvarta. com

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