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फर्जी दस्तावेज से बने शिक्षकों की लिस्ट एक हप्ते में.पढ़ें @हिलवार्ता

उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजो के आधार पर नियुक्त शिक्षकों के खिलाफ एक्शन लेने हेतु दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को एक सप्ताह में सन्दिग्ध सभी शिक्षकों की लिस्ट पेश करने को कहा है । सुनवाई के दौरान आज सरकार द्वारा अपना पक्ष रखते हुए बताया गया कि अभी तक 87 शिक्षक संदिग्ध पकड़े गए हैं जिनमे से 21 शिक्षकों के खिलाफ कार्यवाही की गई है। सरकार के पक्ष का जबाब देते हुए याचिकर्ता के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि सरकार से जो लिस्ट पेश की है वह पर्याप्त नही है जबकि फर्जी दस्तावेजों से नियुक्ति पाए शिक्षकों की संख्या इससे कई गुना अधिक है ज्ञात रहे कि इस मामले में कोर्ट ने पिछली तिथि को सरकार से पूछा था कि कितने अध्यापको के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई गई है साथ ही उन अधिकारियों का क्या हुआ जो किसी न किसी तरह इस मामले से जुड़े हैं । कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह में इसका जवाब देने को कहा था आज कार्यवाहक मुख्य मुख्य न्यायधीश रवि कुमार मलिमथ व न्यायमुर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में इसकी सुनवाई हुई और कोर्ट ने अपना नया आदेश पारित किया ।

दरसल वर्ष 2017 में देहरादून निवासी एक आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा 200 से ऊपर शिक्षकों के फर्जी तरीके से शिक्षा विभाग में नॉकरी पाने का मामला जब शिक्षा महकमे के समक्ष उठाया तो प्रदेश में हलचल होना लाजमी था । मामले के संज्ञान में आते ही हल्द्वानी स्थित संस्था स्टूडेंट गार्जियन वेलफेयर सोसायटी ने हाईकोर्ट नैनीताल में याचिका दायर कर दी और राज्य में फर्जी शिक्षकों की जांच के लिए कोर्ट से सरकार को निर्देशित करने का आग्रह किया। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट सरकार को जांच के लिए निर्देशित किया । तत्पश्चात मामले को प्रदेश सरकार ने जांच के लिए सीबीसीआईडी के हवाले किया । तत्काल एक एसआईटी टीम गठित हुई और छानबीन शुरू हुई । सर्वप्रथम रुद्रप्रयाग जिले में 11 फर्जी दस्तावेज से नियुक्ति पाए शिक्षकों की पहचान हुई । फिर हरिद्वार उधमसिंह नगर लगभग हर जिले में एक्का दुक्का मामले सामने आए। इसके बाद प्रदेश भर में कई लोगों के फर्जी दस्तावेजों से विभागों में पदों पर विराजे होने की आशंका सच साबित हुई ।लेकिन जांच में जिस तरह तेजी से काम होना चाहिए था वह नहीं हुआ बिगत तीन साल में कुल 21टीचरों के खिलाफ ही कार्यवाही हुई । पूर्व में कोर्ट के आदेश के वावजूद राज्य सरकार की ओर से पूर्ण विवरण और कार्यवाही रिपोर्ट पेश करने में भी देरी हुई । 3500 से अधिक फर्जी शिक्षक होने के दावे के सापेक्ष 100 से कम शिक्षक तक ही पहुच पाना अपने आप कई सवाल खड़े करता है । आज पुनः इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई सुनवाई के दौरान पुनः संस्था के अधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य के प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजो के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किये गए है जिनमे से कुछ अध्यापको की एसआईटी जाँच की गई जिनमे खचेड़ू सिंह ,ऋषिपाल ,जयपाल के नाम सामने आए परन्तु विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इनको क्लीन चिट दी गयी और ये अभी भी कार्यरत है।

अब सरकार को एक सप्ताह में लिस्ट सौपनी है देखना होगा इस मामले में कितने लोगों ने राज्य में फर्जीवाड़े से नौकरी पाई और कितने बेरोजगारों का हक मारा ।

हिलवार्ता न्यूज डेस्क

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