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उत्तराखण्ड

हल्द्वानी में याद किये गए जाने माने वैज्ञानिक, कुमायूँ विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति डॉ डी डी पंत, जन्म शताब्दी समारोह के तहत हुए कार्यक्रम में कई गणमान्यों ने की शिरकत.पूरा पढ़िए@हिलवार्ता

    प्रख्यात भौतिक विज्ञानी व कुमाऊँ विश्वविद्यालय के पहले कुलपति डॉ. डीडी पंत के जन्म शताब्दी समारोहों की श्रंखला में हल्द्वानी के मेडिकल कॉलेज के सभागार में रविवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिसमें वक्ताओं ने कहा कि डॉ. पंत जैसे व्यक्तित्व कभी कभार ही पैदा होते हैं । उन्होंने कुमाऊँ विश्वविद्यालय को जिस तरह से एकादमिक क्षेत्र में ऊँचाईयों पर पहुँचाया , वह आज भी एक उपलब्धि है । डॉ. पंत को अपने देश व समाज से बहुत ही प्यार था , इसी कारण से उन्होंने अमेरिका में अपना भविष्य तलाशने की बजाय भारत में ही रहना पसन्द किया ।

    कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महापौर डॉ. जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला ने कहा कि डॉ. पंत हमारी विशिष्ट पहचान थे । उनका कुमाऊँ विश्वलिद्यालय से जुड़ा रहना ही हमारे लिए गौरव की बात रही है। उन्होंने अपने निर्देशन में अनेक विद्यार्थियों को उच्च कोटि के शोध कार्य करवाए । उनके अनेक विद्यार्थी आज देश के अनेक उच्च कोटि के संस्थानों में वैज्ञानिक हैं और कई देश के विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहे हैं । एक उच्च कोटि का भौतिक विज्ञानी होने के बाद भी उनकी उत्तराखण्ड के विकास को लेकर अपनी एक अलग सोच थी ।
     प्रो. शेखर पाठक ने उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. पंत नैनीताल के डीएसबी कॉलेज में भौतिक विषय के संस्थापक रहे । उन्होंने प्रख्यात वैज्ञानिक प्रो. सीवी रमन के निर्देशन में भौतिकी में अपना शोध पूरा किया । प्रो. रमन ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें भविष्य का वैज्ञानिक घोषित किया था । बाद में अपनी प्रतिभा के कारण ही उन्हें एक फेलोशिप के लिए अमेरिका जाने का अवसर मिला । वहॉ शोध करने के दौरान उन्हें अमेरिका के अनेक उच्च कोटि के संस्थानों ने अपने यहॉ नौकरी करने का अनुरोध किया । पर डॉ. पंत ने अमेरिका में  अच्छी सुविधाओं वाली नौकरी करने की बजाय अपने देश और इपनी मातृभूमि उत्तराखण्ड लौटना स्वीकार किया । अपने इसी प्रण के कारण उन्होंने कुमाऊँ विश्वविद्यालय के सहारे यहॉ की उच्च शिक्षा को एक नया आयाम दिया ।
     प्रो. गिरिजा पान्डे ने कहा कि डॉ. पंत को समझना और जानना अपने पूरे समाज के समझने और जानने की तरह है । उनके शताब्दी समारोह के बहाने हम पूरे पहाड़ को भी पूरी समग्रता के साथ समझ सकते हैं । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. कविता पान्डे ने कहा कि भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में उनके द्वारा किए शोध कार्यों को हमेशा याद रखा जाएगा ।

     जन्म शताब्दी समारोह में हरीश पंत,जगमोहन रौतेला,राजीव पांडे,ओपी पांडे,दिवाकर भट्ट,भाष्कर उप्रेती,रीता खनका रौतेला,सुनीता भाष्कर,बबीता उप्रेती,प्रदीप लोहानी,एड मयंक जोशी, ऐश्वर्य जोशी,सहर्ष पांडेय,प्रो.भूपेन सिंह ,प्रो. बीआर पंत,डॉ सी एस जोशी,योगेश पंत,डॉ.अनिल कार्की,डॉ.पंकज उप्रेती,दिनेश कर्नाटक,दयाल पांडे,सुरेश भट्ट,बसन्त पान्डे,दमोदर जोशी ‘देवांशु,चारु तिवारी,हर्षिता रौतेला,बबिता उप्रेती,विनोद जीना,रूपेश कुमार सिंह,पलाश विश्वास,सुनील रौतेला,भुवन जोशी ,रेखा जोशी ,सतीश जोशी,हरिमोहन शर्मा,पंकज पान्डे,सुनील पंत,दीपक नौगाई,कर्नल आलोक पांडेय,डीएन भट्ट,पुरन बिष्ट,सुधीर,पीयूष,सहित कई लोग उपस्थित रहे.

कार्यक्रम को मेयर जोगेन्दर रौतेला, प्रो.बीएस बिष्ट पूर्व कुलपति,प्रो.केसी जोशी पूर्व कुलपति प्रो.एचबी त्रिपाठी,प्रो.प्रीति गंगोला जोशी, प्रो.प्रभात उप्रेती,राजीव लोचन साह डॉ.आई डी पान्डे,श्री धनेश पान्डे,ह्रदयेश मिश्रा,प्रो कविता पांडेय,ने डॉ पंत की स्मृतियों को श्रोताओं के सम्मुख रखा,कार्यक्रम का संचालन उमेश तिवारी विश्वास ने और धन्यवाद ओपी पांडेय ने ज्ञापित किया ।
वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन रौतेला
की रिपोर्ट @हिलवार्ता न्यूज डेस्क

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