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न्यूजीलैंड में हुए आतंकी हमले के बाद , देश वासियों ने पीड़ितों का हाथ थाम लिया ,देखिए कैसे …

न्यूजीलैंड के लोगों ने कहा है वह अमन पसन्द हैं,क्राइस्टचर्च में दो मस्जिदों पर हमले करने वाले दहशतगर्दों के खिलाफ कीवी लोग न्यूजीलैंड वासी स्थानीय मुस्लिमों की मदद के लिए खुलकर आगे आए हैं और पूरी एकजुटता से उनके साथ खड़े हैं । आमतौर पर शांतिप्रिय माने जाने वाले और हिंसा से भाग कर आने वाले शरणार्थियों के स्वागत के लिए पहचाने जाने वाले देश की मस्जिदों पर इस हमले ने सभी को हैरान कर दिया है ।
…कीवी लोगों ने स्थानीय मुस्लिमों की मदद के लिए लाखों डॉलर इकट्टा किये हैं, भोजन दान किया जा रहा है और उन्होंने सड़कों पर चलने से डर रहे मुस्लिमों के साथ चलने की पेशकश की है। क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में शुक्रवार को हुई गोलीबारी में 49 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए थे।
…क्राइस्टचर्च के एक उपनगर में, जहां गोलीबारी हुई थी, उसके करीब योती इयोनो और उनकी पत्नी ने स्थानीय लोगों से भोजन दान करने के लिए फेसबुक पर आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि शहर के अस्पतालों में भर्ती घायल लोगों के हताश परिजनों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए यह आह्वान किया गया है। इयोनो ने कहा, हम वास्तव में प्रभावित हुए हैं और मदद करने के लिए खुश हैं। उन्होंने कहा, हम पीडि़त परिवारों के समर्थन के लिए काम कर रहे हैं। कई अन्य लोगों ने भी उन स्थानीय मुस्लिमों को मदद की पेशकश की है जो अपने घरों से निकलने में डर महसूस कर रहे हैं।
…एक फेसबुक पोस्ट में वेलिंगटन निवासी लियानस हॉवर्ड ने लिखा है कि यदि कोई मुस्लिम महिला वेलिंगटन में असुरक्षित महसूस कर रही है तो मैं आपके साथ चलूंगा, आपके साथ बस स्टॉप पर इंतजार करूंगा, मैं आपके साथ बस में बैठूंगा। हावर्ड की यह पोस्ट वाइरल हो गई। इसका स्क्रीन शॉट ट्वीटर पर डाला गया और इसे 16000 बार साझा किया गया।
…न्यूजीलैंड में दुनियाभर के हजारों लोग हिंसा से भाग कर जाते हैं। यहां सभी का स्वागत होता है, अमूमन किसी से सामाजिक भेदभाव नहीं रहता। इसके बाद भी नफरतों के बीज हर जगह पनपते हैं। ऑस्ट्रेलिया में जन्मे हत्यारे ब्रेंटन टारेंट (28) को जब न्यायालय में हथकड़ी और कैदियों वाली सफेद रंग की कमीज पहने पेश किया गया तो उसके चेहरे पर ग्लानि के कोई भाव नहीं थे। न्यायाधीश ने उसके खिलाफ हत्या के आरोप तय किए जिसका मतलब है कि वह जेल में ही मरेगा। हत्यारे ने दुनियाभर में श्वेत प्रभुत्व की वकालत करने वाले नस्लवादी समूहों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला नीचे की तरफ ‘ओके’ का संकेत किया। उसने कई बार अदालत में मौजूद मीडिया की ओर देखा, उसने अपनी जमानत की अर्जी भी नहीं दी। सुरक्षा कारणों के चलते सुनवाई बंद कमरे में हुई। देशभर का बहुसंख्य तबका हैरान है कि आखिर कोई ऐसा कैसे हो सकता है।
…रंग, नस्ल, धर्म, जाति की नफरतें अंत में आतंक को जन्म देती हैं। अर्थव्यवस्था मजबूत करने में नाकाम रानीतिज्ञ इसे हवा देते हैं। आम लोगों को हर जगह अमन पसंद है । साफ है आतंकवाद कहीं भी हो इसे अंजाम देने वाले किसी भी जाति धर्म सम्प्रदाय से ताल्लुक रखते हों इसकी मजम्मत की जानी चाहिए,अमन पसंद लोग हर जगह मौजूद हैं, उनकी मानवता के प्रति संवेदना बरकरार रहे यही जीवन का असल फलसफा है .

Reported by
Chandrashekhar joshi .
Senior journalist .
Hillvarta news desk
Www. hillvarta.com

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